कहते हैं शब्दों का जीवन में बहुत महत्व होता है प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी अपनी बेहतरीन भाषण शैली के लिए दुनिया में जाने जाते हैंl उनके भाषणों में एक एक शब्द के मायने होते हैंl कोरोंना संक्रमण के फैलाव को रोकने हेतु केंद्र व राज्य सरकारों ने लॉकडाउन (अंग्रेज़ी शब्द) किया हैंl अर्थात पूरी तरह ताले में बंद l यह वर्तमान परिस्थिति में ज़रूरी भी हैं l
इसी बीच सोशल डिस्टेंसिंग यानी सामाजिक दूरी नामक शब्द की उत्पत्ति हुई l इस शब्द पर भी इन दिनों तमाम बुद्धिजीवियों का पूरा जोर है l सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर मेरे मन में एक विचार मंथन बहुत दिनो से चल रहा हैं l हम दुनिया के सबसे संवेदनशील देश हिंदुस्तान में रहते हैं यहां लंबे समय से भारतीय सामाजिक संरचना (वर्ण,वर्ग,जाति और धर्म )के आधार पर ही जीवनशैली आगे बढ़ रही है सोशल डिस्टेंसिंग के मायने यदि समझे जाएं तो यह शब्द इन संवेदनशील परिस्थितियों में अनुकूल क़तई भी सटीक नहीं हैंl सोशल डिस्टन्सिंग शब्द से ही छूआँ छूँत की बू आती हैं l
देश के मौजूदा हालातों में यदि देखें तो जिन सफाई कर्मियों से समाज के प्रत्येक वर्ग के लोग दूरी बनाकर रखते हैं आज वही कोरोना से जंग में सबसे आगे खड़े हैं l यदि इस महामारी के रोकने तक सोशल डिसटेंसिंग (सामाजिक दूरी )के स्थान पर शारीरिक दूरी शब्द का प्रयोग किया जाये तो ज़्यादा सटीक होगा l यदि यह विचार बुद्धिजीवियों के गले उतरे तो निरंतर हो रही गलती को सुधार लिया जाए l ग़लती सुधारना भारतीय संस्कृति की आत्मा में समाहित हैं l