कुछ तो लोग कहेंगे

 


डीडी भारती पर जिस दिन से महाभारत का प्रसारण शुरू हुआ है नियमित रूप से देख रहा हूं। शाम को सात बजे जिस समय महाभारत आती है उसी समय News 18 पर अमीश देवगन का शो 'आर-पार' चल रहा होता है। महाभारत में ब्रेक के दौरान मैं 'आर-पार' देख लेता हूं। दोनों में कोई खास अंतर महसूस नहीं होता। स्टूडियो का माहौल कौरव सभा की तरह ही होता है। डिबेट द्यूत क्रीड़ा जैसी लगती है। अमीश देवगन शकुनि की तरह पासे फेंकता है जो हमेशा दुर्योधन के पक्ष में ही होते हैं। पत्रकारिता रुपी द्रोपदी के मर्यादा रूपी चीर का रोजाना हरण होता है। द्रोपदी को रोज नग्न किया जाता है। बीजेपी और उनके समर्थक प्रवक्ता दुर्योधन, दुशासन, कर्ण की तरह अट्टहास करते रहते हैं। विपक्ष के प्रवक्ता पांडवों की तरह गर्दन झुकाए चुपचाप सुनते और सहते रहते हैं। जनता यानी दर्शक खुद को पितामह भीष्म, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य और विदुर की तरह असहाय पाते हैं और मन मसोसकर चुप बैठे रहते हैं। एडिटर्स गिल्ड और प्रेस परिषद धृतराष्ट्र की तरह अंधे बने रहते हैं। जिस तरह पुत्र मोह में धृतराष्ट्र ने अपनी कुलवधू का चीरहरण हो जाने दिया था एडिटर्स गिल्ड और प्रेस परिषद भी सत्ता मोह में पत्रकारिता रूपी द्रोपदी का रोज चीरहरण होने देते हैं। पता नहीं इस द्रोपदी की रक्षा के लिए कोई 'कृष्ण' कब आएगा।


पूर्व पत्रकार और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राजकुमार भाटी की फेसबुक वॉल से