पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की फिलहाल पहचान क्या है?वह जस्टिस गोगोई हैं या मिस्टर गोगोई? पिछले सप्ताह समाचार चैनल टाइम्स नाउ की समूह संपादक (राजनीतिक)नविका कुमार ने उनसे साक्षात्कार में पहला सवाल यही किया। दरअसल सेवानिवृत्ति के पश्चात भी जस्टिस को पूर्व होने का कष्ट नहीं उठाना पड़ता।ऐसी परंपरा है। परंतु यदि चीफ जस्टिस तुरंत बाद राज्यसभा का सदस्य नामित हो जाए तो यह सवाल वाजिब है। उन्होंने पत्रकार को कोई भी विकल्प चुनने की आज़ादी दी। उनसे राफेल मामले में सीलबंद रिपोर्ट लेकर उस रिपोर्ट को सार्वजनिक न करने, तीन तलाक़ मामले को अपनी सदारत वाली बेंच में सुनने, अयोध्या मामले में फैसला सुनाने की प्रतिबद्धता संबंधी अनेक सवाल पूछे गए जिनका उन्होंने अपने "हिसाब" से जवाब दिया। उनसे न्यायपालिका पर राजनीतिक व बाहरी हस्तक्षेप को लेकर भी सवाल किए गए। ऐसे सवालों के जवाब में उन्होंने कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल व विवादित वकील प्रशांत भूषण पर निशाना साधा। पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायाधीन मामलों के मीडिया ट्रायल से नाखुश थे। उन्हें स्वयं के राज्यसभा सदस्य बनने पर कोई अफसोस नहीं था और इसको लेकर हुई आलोचना को उन्होंने ठेंगा दिखाया। हालांकि साक्षात्कार के दौरान नविका कुमार के सवालों के समक्ष वो सहज नहीं थे। चाहे यह मीडिया की जीत नहीं थी परंतु राज्यसभा की सदस्यता हासिल करने से पूर्व मुख्य न्यायाधीश अपनी गरिमा पहले ही हार चुके हैं।
जवाब तो देना पड़ेगा