पहले भी वैचारिक मतभेद रहे हैं शिवसेना भाजपा में

महाराष्ट्र पर मराठों का वर्चस्व कायम रखने को आधार बनाकर राजनीति करने वाली शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के बीच पहले भी कई मुद्दों पर वैचारिक मतभेद रहे हैं l शिवसेना के जनक दिवंगत बाला साहब ठाकरे ने देश में कांग्रेस द्वारा लगाए गए आपातकाल कर समर्थन किया था l

इतिहास के पन्नों को पलटे तो स्थिति स्पष्ट होती है कि नब्बे के दशक से पहले शिवसेना की भारतीय जनता पार्टी से नहीं बल्कि कांग्रेस से नजदीकियां रही है लेकिन महाराष्ट्र में लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच हिंदुत्व के मसले को लेकर गठबंधन रहा है | शिवसेना महाराष्ट्र में मराठा ढाल बनाकर हिंदुत्व का नारा बुलंद करती रही है जबकि भारतीय जनता पार्टी का अपना एजेंडा बिल्कुल स्पष्ट है |

फिलहाल महाराष्ट्र के राजनीतिक समीकरण पिछले 2 दिनों में एक का एक गड़बड़ आए हैं | राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश महामहिम से कर दी है|  इसे चुनौती देने के लिए शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा कर अपने तेवर उजागर कर दिए हैं |

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है की राष्ट्रपति शासन लगाकर भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में अपना वर्चस्व कायम रखने में कामयाब होगी | जबकि शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी विपक्ष की भूमिका में दिखेंगे | शिवसेना का सपना साकार ना हो सके इसके लिए भारतीय जनता पार्टी के तमाम रणनीतिकार लगे हुए हैं | खुशामदों का दौर समाप्ति की ओर है | कैबिनेट की बैठक को संबोधित करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश की यात्रा पर निकलेंगे | इसके बाद देश की कमान गृह मत्री अमित शाह के हाथो में होगी |

देखना दिलचस्प होगा कि इस राजनीतिक घटनाक्रम में क्या बदलाव आते हैं | लेकिन एक बात साफ है कि सियासत में कोई किसी का नहीं होता | भावनाओं की यहां कोई कदर नहीं होती इसलिए सब कुछ समीकरणों पर टिका होता है| ये शायद इन दिनों राजनितिक पैतरेबाजी से समझ आ रहा होगा |