हरियाणा और महरास्ट्र के विधानसभा चुनावों में त्रिषंकु जनादेष ने भाजपा के सियासी रथ को ब्रेक देने का काम किया है। हरियाणा मे ंतो मामला मैनेज हो गया लेकिन महारास्ट्र में भाजपा और षिव सेना के बीच पेंच फंसा हुआ है। षिव सेना नेता संजय राउत ने कहा है कि वहां दुस्यंत चैटाला के पिता जेल में थे यहां ऐसा नहीं है। इसलिए झुकने का सवाल ही पैदा नहीं होता। मुख्यमंत्री का ताज षिव सेना को चाहिए तो चाहिए।
दषकों से साथ साथ राजनीति करने वाले भाजपा षिवसेना को अब एक दूसरे पर ऐतबार नहीं रहा। राजनीति ने इन दोनों दलों को ऐसे मोड पर लाकर खडा कर दिया जहां इन दोनों की जगहंसाई हो रही है। राजनीतिक के जानकार मानते है कि भाजपा के पास षिव सेना की भौंक निकालने का सटीक समय है। बषर्ते उसे कुछ समय के लिए महारास्ट्र में सत्ता का मोह त्यागना होगा। कोई भी रिश्ता वफादारी की नाजुक दीवार पर टिका होता है। इसलिए रिष्तों में वफादारी होनी चाहिए। यदि बात सत्ता की हो तो ये जिम्मेदारी और बढ जाती है। देष को कांग्रेस मुक्त करने का बीडा उठाकर चली भाजपा दोबारा मोदी के दम पर केंद्र की सत्ता पर काबिज है। पहले पांच साल में मोदी का जो असर था वो धीरे धीरे होना लाजमी है। लंबे समय तक किसी को खुश नहीं रखा जा सकता है। बैंको का हालए बाजार की हालतए भाजपा नेताओं का रवैया ये सभी इसके लिए जिम्मेदार है। भले की कोई बोले ना लेकिन गुटबाजी भी चरम पर है। हरियाणा और महारास्ट्र विधानसभा के चुनावों के बाद भाजपा का तिलिस्म टूटने की ओर अग्रसर है। आम वोटर पर भाजपा की पकड पहले के मुकाबले कमजोर पडी है। शायद यही वजह है कि दषकों से उसकी सहयोगी षिव सेना भी उसे आंख दिखा रही है।
हरियाणा में जजपा के सर्मथन से मनोहर लाल खटटर की सरकार रिपीट हो चुकी है। लेकिन इसके लिए पार्टी को भारी कीमत चुकानी पडी है। जजपा प्रमुख और अब उप मुख्यमंत्री दुष्यंत के पिता को शपथ ग्रहण से एक दिन पहले पैरोल पर रिहा कराना। अजय चैटाला का शपथ ग्रहण में मंच पर विराजमान होना। अभी भाजपा को नहीं दिख रहा है लेकिन ये जो पब्लिक है ये सब जानती है। सही समय पर जनता अपना फरमान सुनाएगी। हाल ही में जम्मू कष्मीर में विदेषी डेलीगेट के आने को कमतर नहीं देखना चाहिए। इसके मायने है। लोकतंत्र में जनता जनार्दन होती है। कांग्रेस को चाहिए कि वो इन मुददो को जनता के बीच ले जाए। कांग्रेस के पास इन दिनों सियासत करने का सही समय है। उसे इन मुददो को कार्यकर्ताओं के बूते गरम करना चाहिए। हालांकि प्रियंका गांधी इस मामले में लगी है। अन्य नेता भी इस काम में जुटेंगे।
जानकारों का दावा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सियासत की बिसात पर अपने मोहरे बिछा है। उन्होने अपने कामो को गिनाना शुरू कर दिया है। केजरीवाल दिल्ली में कांग्रेस से समझौता कर सकते है। हालांकि इस बारे में अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।
इसलिए भाजपा को महारास्ट्र में षिव सेना की भौंक निकालनी चाहिए ताकि राजनीतिक सहयोगियों को संदेष मिल सके।