नोएडा। खासकर राजनीति में उंट किस करवट बैठ जाए। यह समझ पाना सियासतबाजों के बूते में भी नहीं होता। अब दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के जनपद गौतमबुद्धनगर को ही ले लीजिए। ये जिला बसपा सुप्रिमों और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का गृहजनपद है। एक दौर था जब यहां की जनता बसपा के साथ थी। आज यहां चहुंओर भगवा लहरा रहा है। इस लोकसभा सीट की पांचो विधानसभा सीटों पर भाजपा का असर है। बसपा का सूपडा साफ हो चुका है। शायद यही वजह है कि यहां इन दिनों जो भी नेता राजनीति में सक्रिय है वही भाजपाई है। चर्चा है कि सपा का दामन झटकर भाजपा में आए सांसद सुरेंद्र नागर के स्वागत समारोहों के जरिए कई मौकापरस्त भाजपाई अपनी राजनीति रोटी सेकने की फिराक में है। इन दिनों राजनीतिक हलकों में इसकी चर्चा ए आम है।
तकरीबन पचास लाख की आबादी वाले जनपद गौतमबुद्धनगर का बडा इलाका नोएडा ग्रेटर नोएडा के शहरी इलाको में है। जनपद में साढे तीन विधानसभा सीट आती है। नोएडा विधानसभा सीट प्योर भाजपा का गढ है। दादरी जेवर पर इस बार तो भगवा लहरा रहा है लेकिन इससे पहले दो बार इन सीटों पर बसपा का कब्जा का रहा है। गौतमबुद्धनगर संसदीय सीट पर पहली बार नीला रंग चढा था। 2009 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से सुरेंद्र नागर बसपा के सांसद चुने गए थे। देश प्रदेश की तरह इस सीट पर दो बार से भाजपा का कब्जा है। यहां से डाक्टर महेश शर्मा सांसद है। वे 2014 में जितने मार्जन से जीते थे 2019 में उससे भी अधिक अंतर से लोकसभा पहुंचे है।
ढाई साल पहले हुए यूपी विधानसभा चुनावों में नोएडा के अलावा जिले की सभी सीटों पर भाजपा का दबदबा है। कभी नीले रंग में रंगी जेवर दादरी सीटों को भी बसपा बचाने में नाकामयाब रही। नोएडा से पंकज सिंह, दादरी से मास्टर तेजपाल नागर, जेवर से ठाकुर धीरेंद्र सिंह रिकार्ड वोटों से जीते है। इस जिले में आधी लगने वाली सिंकद्राबाद विधानसभा सीट से भाजपा की विमला सोलंकी विधायक है।
खैर अब बात करते है राजनीतिक मे उंट की। सुरेंद्र नागर भाजपा के राज्य सभा सांसद निवार्चित हो गए है। राजनीति को समझने वालों पर ऐतबार करें तो इन्हें 2009 के संसदीय चुनावां के बाद से सांसद डाक्टर महेश शर्मा का राजनीतिक प्रतिद्वंदी माना जाता है। डाक्टर महेश शर्मा ने भाजपा को स्थापित कराने में अहम भूमिका अदा की है। सूत्र बताते है कि अटल अडवाणी जोशी के अलावा दिवंगत अरूण जेटली और सुषमा स्वराज से इनकी नजदीकी जगजाहिर है। अटल बिहारी वाजपेयी,, अरूण जेटली और श्रीमति सुषमा स्वराज दिवंगत हो चुकी है। लाल कृष्ण अडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जी का पार्टी प्लेटफार्म पर क्या असर है। ये सोशल मीडिया के जरिए हम और आपको को पता चलता रहता है।
सूत्र बताते है कि सुरेंद्र नागर के स्वागत समारोहों के जरिए सांसद डाक्टर महेश शर्मा का विरोधी खेमा गुरूवार को साक्रिय हो गया था। सोशल मीडिया पर श्री नागर के शपथ ग्रहण समारोह के फोटो जमकर वायरल किए गए है। सांसद सुरेंद्र नागर के चाहने वाले उनके लिए पलक पावडे बिछाए बैठे है। जनपद में अलग अलग स्थानों पर उनके स्वागत की तैयारी की सूचना है। मौजूदा सांसद डाक्टर महेश शर्मा से दूरी बनाने का ढौंग करने वाले कई नेता राज्य सभा सांसद सरेंद्र नागर के भाजपा में आने के बाद खुश है। इनकी बाछे खिल गई है। शायद इन्हें ये नहीं पता कि यदि डाक्टर महेश और सुरेंद्र नागर में राजनीतिक संधि हो गई तो इनका क्या हश्र होगा।
राजनीति में सभी को संतुस्ट कर पाना नेता के लिए मिल का पत्थर साबित करने जैसा होता है। भाजपा की राजनीतिक नब्ज समझने वालो की मांने तो अन्य दलों से भाजपा में आए कई नेता स्वागत समारोहों के जरिए राजनीति करने की फिराक में है। गौतमबुद्धनगर में भाजपा की राजनीतिक धुरी आने वाले दिनों में कौन और कैसे होगा। ये देखना दिलचस्प होगा। क्या राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर दो बार के लोकसभा सांसद डाक्टर महेश शर्मा के समानान्तर खडे हो पाएंगे। ये यक्ष प्रश्न है जो हर राजनीतिक रूप से जागरूक व्यक्ति के मन में कौधना लाजमी है। शायद इसके लिए हमें और आपको अभी वक्त का इंतजार करना होगा।
सुरेंद्र नागर के स्वागत समारोहों के जरिए होगा राजनीतिक परीक्षण!